Holi 2024: Holi Kyu Manai Jati hai? | होली क्यों मनाते है?

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होली का त्यौहार रंगों का त्यौहार होता है और होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतिक के रूप में भी मनाया जाता है। पर क्या आपको पता है कि इस त्यौहार को मनाने के पीछे का इतिहास क्या है? इस लेख में आज हम जानने वाले है कि होली क्यों मनाई जाती है? Holi Kyu Manai Jati hai.

होली क्यों जलाई जाती है? होली और होलिका दहन की कथा, इतिहास। Why Holi Is Celebrated? Holika Dahan Story.

बहुत समय पहले, एक हिरण्यकश्यप नामक असुर राजा था, जिसको भगवन भ्रह्मा के द्वारा वरदान प्राप्त था कि उसे न तो कोई पुरुष मार सकता है और न ही कोई स्त्री, वह न दिन में मर सकता है और न ही रात में, उसे न कोई अस्त्र मार सकता है और न ही कोई शस्त्र, और वह न किसी पशु के द्वारा मारा जा सकता है। इस तरह का वरदान मिलने के बाद हिरण्यकश्यप खुद को परम शक्तिशाली समझने लगा था और वो खुद को भगवान से तुलना करने लगा था।

पर उसका पुत्र था प्रह्लाद, जिसे दुनिआ आज भक्त प्रह्लाद के नाम से जानती है, वो अपना सब कुछ भगवान विष्णु को मानता था। उसकी भगवान विष्णु में अटूट श्रद्धा थी। पर इस बात से उसका पिता हिरण्यकश्यप काफी क्रोधित था कि पूरा संसार उससे डरता है और उसके सामने शीश झुकाता है और उसका खुद का पुत्र उसकी भक्ति न कर उसके परम शत्रु की भक्ति करता है। यह बात हिरण्यकश्यप को बिलकुल भी पसंद नहीं थी तो उसने उसे खूब समझाया, डराया और धमकाया, पर प्रह्लाद टस से मस नहीं हुआ।

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Holi Kyu Manai Jati hai

उसकी सबकुछ योजना विफल होती देख, उसने अपनी बहन होलिका को बुलाया और उससे कहा कि तुम इसे अपनी गोद में बैठाकर अग्नि में बैठ जाओ। दरअसल, होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जल सकती थी। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि उसके पास एक ऐसी चादर थी, जिसे ओढ़ने के बाद वह आग से बच सकती है।

तो होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठ गई पर होलिका की चादर उड़कर प्रह्लाद पर आ गिरी और आग के कारन होलिका जलकर भस्म हो गई, पर भक्त प्रह्लाद बच गये।

इन सब से भी कुछ न होता देख, हिरण्यकश्यप ने एक स्तम्भ को गर्म किया और प्रह्लाद से कहा कि तुम इस स्तम्भ को गले लगा लो। अगर वाकई में तेरा प्रभु है तो वो तुझे आकर बचा लेगा। उसके इतना कहते है उस स्तम्भ को फाड़कर भगवान विष्णु “नरसिंह अवतार” में प्रकट हुवे और हिरण्यकश्यप को पकड़कर उसे उसके महल की दहलीज़ पर ले गये और उसका पेट अपने तीखे नाखूनों से फाड दिया। जब हिरण्यकश्यप मरा तो उस समय सुबह का समय था और उसको मारने वाला न नर था न मादा, न मनुष्य था न जानवर।

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इस प्रकार प्रह्लाद की असीम भक्ति के कारण स्वंय प्रभु को आना पड़ा और अपने भक्त की रक्षा करनी पड़ी। इस घटना से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में सदा अच्छाई की जीत होती है न कि बुराई की।

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तो दोस्तों यह थी होली मनाने के पीछे की कहानी। मुझे उम्मीद है कि अब आपको पता चल गया होगा कि होली क्यों मनाई जाती है? Holi Kyu Manai Jati hai. होलिका दहन क्यों किया जाता है और होली को क्यों बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।

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