हिरण्याक्ष कौन था?

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हिरण्याक्ष, हिरण्यकश्यप का छोटा भाई था। ये दोनों भाई ऋषि कश्यप और दिति के पुत्र थे। विष्णु पुराण के अनुसार, हिरण्याक्ष ने धरती माता को रसातल में डूबा दिया था, जिस कारण आदि नारायण भगवान विष्णु ने वाराह अवतार लिया और पृथ्वी को हिरण्याक्ष के चंगुल से स्वतंत्र किया था। बाद में, भगवान विष्णु ने “नरसिंह अवतार” धारण करके हिरण्यकश्यप का भी अंत किया था।

रसातल: रसातल, पृथ्वी के नीचे के सात लोकों में से छठा लोक है।

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इस लेख में हम हिरण्याक्ष के बारे में जानेंगे।

हिरण्याक्ष कौन था? Who was Hiranyaksha?

हिरण्याक्ष, दैत्यों के आदिपुरुष कश्यप और दिति का पुत्र था और वह हिरण्यकश्यप का छोटा भाई था। वह जन्म के समय से ही काफी बलवान और पर्वत के समान शरीर वाला था। इतना सब होने के बावजूद भी उसे संतोष नहीं था, वह तो अजेय और अमर होना चाहता था और वो स्वयं को सर्वश्रेष्ठ और भगवान विष्णु से भी ऊपर समझता था।

हिरण्याक्ष तीनों लोकों पर अपना आधिपत्य चाहता था। उसने पृथ्वी को जीतकर उसे समुद्र में डुबो दिया। अब वो इंद्रलोक को जितने के लिए निकल गया। उसके आने की सूचना पाकर सभी देवता और इंद्र, इंद्रलोक छोड़ कर चले गए। चूँकि इंद्रलोक में उसे युद्ध के लिए कोई नहीं मिला तो उसने वहाँ अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। अब वो वरण की राजधानी विभावरी नगरी में गया और वरण देव को युद्ध के लिए ललकारा। वरण देव ने कहा कि हे, बलशाली तुमसे लड़ने का साहस मुझमे कहाँ? तुमको जाकर भगवान विष्णु से युद्ध करना चाहिए। सभी देवताओं और ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु से हिरण्याक्ष का वध करने को कहा और उसके अत्याचार से सबको मुक्त कराने को कहा।

हिरण्याक्ष, देवर्षि नारद के पास जाकर उसने भगवान विष्णु का पता पूछा। तो नारद जी ने बताया कि वो तो अभी वराह अवतार धारण किये पृथ्वी को रसातल से बाहर निकालने गये है। यह सुनकर हिरण्याक्ष भी वहाँ पहुँच गया। वहाँ पर उसने भगवान विष्णु को वराह अवतार लिए अपने दाँतों पर पृथ्वी को रखे हुवे आते हुवे देखा तो वो बोल पड़ा कि हे पशु, तू इस पृथ्वी को लिए कहाँ ले जा रहा है। यह तो हमारे (दैत्यों के) उपभोग की वस्तु है।

पुरे समय वह भगवान विष्णु को अप्रिय बातें कहता रहा और उन्हें कभी मायावी, कभी कायर तो कभी निर्लज्ज कहता पर भगवान तो भगवान है वो उसकी बातें सुनकर भी हँस देते।

जब उन्होंने पृथ्वी को अपनी जगह फिर से स्थापित कर दिया तो उन्होंने हिरण्याक्ष से कहा कि हे महाबली असुर, तुम तो बड़े बलवान हो। बलवान बोला नहीं करते अपितु युद्ध करते है।

यह सुनकर हिरण्याक्ष उनकी ओर टूट पड़ा। वो कई मायावी अस्त्र-शस्त्र का प्रयोग करता पर निहत्ते भगवान वराह उसके हर अस्त्र-शस्त्र को निष्क्रिय कर देते। भगवान ने उसके कई हथियारों को अपने सुदर्शन चक्र से नष्ट कर दिया। और अंत में, उसे अपने दाँतों के प्रहार से मार गिराया और उसे मुक्ति दे दी।

होली से सम्बंधित आपको यह जानकारी कैसी लगी टिप्पणी कर बताये। मैं आशा करता हूँ कि अब आपको यह पता चल गया होगा कि Hiranyaksha Story In Hindi, हिरण्याक्ष कौन था?

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