Holi 2024: Bhakt Prahlad Kaun The. भक्त प्रहलाद कौन थे. होली से सम्बन्ध. प्रहलाद के पिता, पत्नी का नाम, आराध्य देव का नाम, नरसिंह अवतार से सम्बन्ध, होलिका दहन, जन्म कब हुआ था.
होली का त्यौहार एक मुख्य सन्देश देता है कि हमेशा अच्छाई की जीत होती है और बुराई की हार होती है। हम होली के समय होलिका दहन करते है तो हमें होलिका दहन से यह पता चलता है कि होलिका भक्त प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठ गई थी पर होलिका तो जल गई गई थी लेकिन भक्त प्रह्लाद बच गया था।
जाने: कौन थी होलिका?
आज हम इस लेख में जानेंगे कि भक्त प्रह्लाद कौन थे और उनका (होली मनाने के लिए) महत्वपूर्ण योगदान क्या था?
दोस्तों, भक्त प्रह्लाद एक ऐसा बालक था, जिसकी ईश्वर में असीम आस्था थी और उसकी रक्षा के लिए स्वयं प्रभु श्री विष्णु नरसिंह अवतार लेकर धरती पर प्रकट हुवे थे।
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भक्त प्रहलाद के माता-पिता का क्या नाम था?
प्रहलाद के पिता असुरराज हिरण्यकश्यप तथा माँ कयाधु थी।
भक्त प्रहलाद का जन्म कब हुआ था? प्रह्लाद के जन्म की कहानी. Bhakt Prahlad Story In Hindi.
विष्णु पुराण के अनुसार, प्रहलाद का जन्म तब हुआ था जब हिरण्यकश्यप अपने भाई हिरण्याक्ष की मृत्यु का बदला लेने के लिए ब्रह्माजी की तपस्या में लीन हो गया था। तब देवराज इंद्रा ने राजाविहीन सेना को हराकर अपना राज्य वापिस लिया और उन्होंने हिरण्यकश्यप की पत्नी को बंदी बना लिया, उस समय कयाधु (प्रहलाद की माँ) गर्भवती थी। देवराज इंद्र को लगा कि कहीं यह बालक भी हिरण्यकश्यप जैसा न हो, इसलिए उन्होंने कयाधु को बंदी बना लिया था।
पर नारदजी ने उन्हें समझाया कि यह बालक तो भगवन विष्णु का परम भक्त है। ऐसा सुनकर इंद्र ने उसे छोड़ दिया और कयाधु नारदजी के आश्रम में उनकी बेटी स्वरुप रहने लगी।
उस आश्रम में कयाधु ने एक तेजस्वी बालक को जन्म दिया, जिसका नाम आज हम भक्त प्रह्लाद के नाम से जानते है। उसी आश्रम में भक्त प्रह्लाद ने नारदजी से शिक्षा ली। नारदजी प्रहलाद के गुरु थे।
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बाद में जब हिरण्यकश्यप अपनी तपस्या के करके वापस आ गया तो कयाधु वापस अपने राजमहल लौट गई।
प्रहलाद किसका भक्त था? प्रहलाद अपनी भक्ति से तस से मस क्यों नहीं हुआ और हिरण्यकश्यप ने क्या-क्या प्रयत्न किये कि वो भगवान विष्णु की भक्ति छोड़ दे? होलिका का दहन भी हो गया?
चूँकि नारदजी से प्रहलाद ने शिक्षा ली थी तो प्रह्लाद बचपन से ही भगवन विष्णु में अटूट श्रद्धा रखता था। जब इस बात का पता हिरण्यकश्यप को चला कि उसका पुत्र उसके परम शत्रु को पूजता है तो वो आग-बबूला हो गया और उसने प्रहलाद को काफी समझाया पर प्रह्लाद तस से मस नहीं हुआ। इन सब से और ज्यादा क्रोधित होकर हिरण्यकश्यप ने आदेश दिया कि इस बालक को जाकर मार दो।
भक्त प्रहलाद को मारने के लिए उसे पहाड़ से फेका गया, जलते तेल में उसे डाला गया, पागल हाथी के पैरों के नीचे कुचलने का प्रयास किया गया, उसके हाथ-पैर बांधकर उसे समुद्र में फेका गया, पर फ्री भी बालक प्रहलाद बच गया क्योंकि उस पर स्वयं भगवान का आशीर्वाद था।
सब प्रयास करने पर भी जब प्रहलाद का कुछ नहीं हुआ तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से कहा कि तुम इसे आग में लेकर बैठ जाओ ताकि यह मारा जा सके। क्यूंकि होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। लेकिन फिर प्रह्लाद बच गये और होलिका स्वयं जल कर मर गई।
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इतना सब होने के बाद भी प्रहलाद ने अपनी भक्ति नहीं छोड़ी तो हिरण्यकश्यप ने कहा कि देख कैसी भक्ति कर रहा है तू? तेरा प्रभु तो मुझे कहीं दिक् नहीं रहा तो भक्त प्रह्लाद ने कहा कि मेरे प्रभु तो कण-कण में है और मन-मन में। वो तो मुझे इस राजमहल के खम्भें में भी दिखाई दे रहे है।
यह सुनकर हिरण्यकश्यप अत्यंत क्रोधित हो गया और उसने उस खम्भें को तोड़ने का प्रयास किया तभी उस खम्भें में से एक विचित्र जीव निकला, जिसका शरीर इंसान का था और सिर शेर का। उस जीव की आँखें सोने के भांति चमक रही थी और उसके हाथों में तीखे नाखून थे। वो जीव स्वयं भगवन विष्णु के अवतार “नरसिंह” थे।
नरसिंह अवतार को देख हिरण्यकश्यप ने उनसे लड़ने गया पर उन्होंने हिरण्यकश्यप को पकड़ा और उसे सभा के दरवाजे पर ले जाकर उसको अपनी गोद में लेटा दिया और उसके पेट को चिर दिया। इसके बाद वो हिरण्यकश्यप के सिंहासन पर बैठ गए और उनके गुस्से को प्रहलाद ने शांत किया और इसके बाद नरसिंह अवतार अंतर्ध्यान हो गये।
प्रह्लाद की पत्नी का क्या नाम था?
प्रह्लाद की पत्नी का नाम धृति था।
होली से सम्बंधित आपको यह जानकारी कैसी लगी टिप्पणी कर बताये। मैं आशा करता हूँ कि अब आपको यह पता चल गया होगा कि भक्त प्रहलाद (Bhakt Prahlad Kaun The) कौन थे?